तू गया मुझको फ़ना कर के वे जानिया
नज़रों को बावफ़ा कर दे वे जानिया
आदत है तेरी या तेरा नशा है
तू गया मुझको फ़ना कर के वे जानिया
तू ना क्यों मुझको हासिल है
हूँ मैं दरिया तू ही साहिल है वे जानिया
तू गया मुझको फ़ना कर के ओ जानिया
तेरे दर्द से मेरी निस्बत है
तेरी यादों की हसीं सोहबत है
अश्कों से दिल को तर कर दे
मेरी नज़रों पे नज़र कर दे वे जानिया