क्यों मुझको मेरे जिस्म से आगे
जो थी तेरे वजूद पे दुनिया
जीती है अब सूद पे दुनिया(जीती है अब सूद पे दुनिया)
सारे कायदें किताबें भूल गए
ज़िक्र ए लाही का जब है मुझको सुरूर
मानूंगी ना हार मुझे है फ़तेह का फितूर
ज़िक्र ए लाही का जब है मुझको सुरूर
क्यूँ दूर तेरा नूर (सा रे ग म प नि सा रे)