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Lyrics
हजारों में किसी को तकदीर ऐसी
मिली है एक रांझा और हीर जैसी
ना जाने ये जमाना
क्यूं चाहे रे मिटाना
कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया
ओ कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया

दुनिया की नज़रों में ये रोग है
हो जिनको वो जाने ये जोग है
एक तरफा शायद हो दिल का भरम
दो तरफा है तो ये संजोग है
लाई हमें जिंदगानी कीस मोड़ पे
हुए रे खुदसे पराए नैना जोड़ के
जो तेरे ना हुए तो
किसी के ना रहेंगे
ना जाने ये जमाना
क्यूं चाहे रे मिटाना
कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया
ओ कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया

WRITERS

Amitabh Bhattacharya

PUBLISHERS

Lyrics © Raleigh Music Publishing LLC, RALEIGH MUSIC PUBLISHING

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