हजारों में किसी को तकदीर ऐसी
मिली है एक रांझा और हीर जैसी
कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया
ओ कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया
दुनिया की नज़रों में ये रोग है
हो जिनको वो जाने ये जोग है
एक तरफा शायद हो दिल का भरम
दो तरफा है तो ये संजोग है
लाई हमें जिंदगानी कीस मोड़ पे
हुए रे खुदसे पराए नैना जोड़ के
कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया
ओ कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया