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Lyrics
तू भर उड़ान अम्बर की ओर
तू भर उड़ान अम्बर की ओर
कदमो को अपने पंख बना
यूँ दहाड़े शब्द लब जब खुले
तू गले को अपने शंख बना
तू गले को अपने शंख बना
जुल्मो सितम घनघोर है
जुल्मो सितम घनघोर है
ये ज़ालिमों का जोर है
पर होंसलो के सामने ये जोर भी कमजोर है
ये जोर भी कमजोर है
मत डर यहाँ टकराने से
मत डर यहाँ टकराने से
कर द्वन्द में प्रवेश तू
जैसा जहाँ का हाल है वैसा बनाले भेष तू
वैसा बनाले भेष तू
क्या है सही क्या गलत है
क्या है सही क्या गलत है
दिल से ज़रा तू पूछ ले
है बराबरी का हक़ तेरा
हक़ ना मिले तो लूट ले
हक़ ना मिले तो लूट ले
फिर साजिशे जो रच रहा
फिर साजिशे जो रच रहा
वो एक दिन झुक जाएंगे
साहस की इस तलवार से
ज़ालिम का सर कट जाएगा
ज़ालिम का सर कट जाएगा
तू भर उड़ान अम्बर की ओर
तू भर उड़ान अम्बर की ओर
कदमो को अपने पंख बना
यूँ दहाड़े शब्द लब जब खुले
तू गले को अपने शंख बना
तू गले को अपने शंख बना

WRITERS

Vijay Suthar, D J Bharali

PUBLISHERS

Lyrics © Raleigh Music Publishing LLC, RALEIGH MUSIC PUBLISHING

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